नहीं हुआ संशोधन तो बंगला बगीचा संघर्ष समिति के बैनर तले होगा आमरण अनशन
नीमच । नीमच नगरपालिका परिषद के पूर्व पार्षद एडवोकेट अमित कुमार शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बंगला बगीचा समस्या नीमच की एक महत्वपूर्ण समस्या रही है जिसके समाधान हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा 26 मई 2017 को एक अधिनियम लागू किया था उक्त अधिनियम के अनुसार व्यवस्थापन बोर्ड के समक्ष वैध कब्जाधारियों को वैध पंजीकृत दस्तावेज उपलब्ध करा उक्त भूमि लीज या पट्टे पर दी जानी थी । व्यवस्थापन प्रक्रिया लागू होने के लगभग 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी कई बंगला बगीचा क्षेत्र के रहवासियों ने व्यवस्थापन हेतु आवेदन नहीं करा उसका मुख्य कारण यह था कि नीमच के ही कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा आम जनता को यह आश्वासन दिया जा रहा था कि व्यवस्थापन हेतु लिए जाने वाले शुल्क में जल्द ही सरकार कमी करेगी और यदि अभी आवेदन भर दिया तो वर्तमान गाइडलाइन के हिसाब से पैसा देना पड़ेगा बंगला बगीचा क्षेत्र के कई रहवासी जनप्रतिनिधियों की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गए और इनके द्वारा व्यवस्थापन हेतु आवेदन प्रस्तुत नहीं किए गए । उन्होंने विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि हाल ही में व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा एक विज्ञप्ति जारी कर आम जनता को यह सूचित किया गया कि 30 दिन के भीतर व्यवस्थापन हेतु विलंब शुल्क के साथ आवेदन प्रस्तुत करें अन्यथा उनके विरुद्ध लोक परिसर बेदखली अधिनियम के तहत कार्यवाही कर भूमि अथवा मकान का कब्जा शासन द्वारा ले लिया जाएगा । यह सर्वविदित है कि बंगला बगीचा क्षेत्र के व्यवस्थापन के लिए जो अधिनियम बनाया है उसमें कई खामियां हैं और उन खामियों को भी दूर किया जाना चाहिए साथ ही जिन रहवासियों द्वारा व्यवस्थापन के लिए आवेदन नहीं दिए गए उन पर विलंब शुल्क के रूप में डाले जाने वाले भार को भी तत्काल रूप से अधिनियम में संशोधन कर समाप्त किया जाना चाहिए ।
जिस प्रकार से अधिनियम काव्यवस्थापन से जुड़े अधिकारी कर्मचारी अपनी इच्छा अनुसार व्याख्या कर रहे हैं और उस कारण आम जन को जो परेशानी हो रही है उसे भी तत्काल प्रभाव से रोखना चाहिए । वहीं अधिनियम में कब्जाधारियों से वैध पंजिकृत दस्तावेज की मांग की जा रही उसकी जगह भूमि या मकान का अंतरण सम्पति अंतरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत होना चाहिए । सम्पति अंतरण अधिनिय वह कानून है जिसके तहत किसी भी प्रकार की सम्पत्ति का अंतरण विधिक प्रक्रिया अपनाकर किया जाता है । ऐसे में बंटवारा, वसीयत, हिब्बानामा और अनुबंध के आधार पर भी सम्पति का अंतरण हो सकेगा और बंगला बगीचा क्षेत्र के रहवासियों को राहत मिल सकेगी । वहीं व्यसायिक भूखंडों एवं भवनों से सम्बंधित जो प्रकरण नगर तथा ग्राम निवेश को भेजे गए है उन्हें भी तत्काल वापस मंगाकर आसान प्रक्रिया अपना उनका भी व्यवस्थापन किया जाना चाहिए क्योंकि जब इन क्षेत्रों में भूमि का विभाजन होकर निर्माण कार्य किया गया था तब नगर तथा ग्राम निवेश का अस्तित्व ही नहीं था। जिन रहवासियों ने व्यवस्थापन अधिनियम लागू होने के पश्चात आज दिनांक तक व्यवस्थापन हेतु आवेदन नहीं करा है उन पर लगने वाले शुल्क के 1 प्रतिशत के मान से लगने वाले विलंब शुल्क को सरकार द्वारा तुरंत कानून में संशोधन कर समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय में विलंब शुल्क लगाया जाना इसलिए न्यायोचित नहीं है क्योंकि पूर्व में भी जो आवेदन शासन के पास व्यवस्थापन हेतु पड़े हैं उनका ही निराकरण आज तक नहीं हो पाया है ऐसे में आम जनता पर विलंब शुल्क के नाम पर भारी भरकम बोझ डाला जाना उचित नहीं है । वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी के कारण लगभग 10 माह तक व्यापार व्यवसाय प्रभावित रहा है और आमजन की आय में भी भारी कमी हुई है । शासन द्वारा अधिकतर मामलों में कोरोना काल के दौरान लगाए जाने वाले शुल्क माफ किये जा चुके है ऐसे में क्या यह शुक्ल आम जनता से लेना न्यायोचित है ?
इन सब मुद्दों को लेकर बंगला बगीचा संघर्ष समिति द्वारा जल्द ही क्षेत्रीय विधायक एवं भाजपा जिलाध्यक्ष से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा जाएगा और यदि समस्या के निराकरण के लिए तत्काल प्रभाव से कार्यवाही करते हुए अधिनियम में संशोधन नहीं किया गया तो बंगला बगीचा संघर्ष समिति के बैनर तले आमरण अनशन किया जाएगा ।