21 लाख का दान भी झूठा? संरक्षक को ही चोर बनाना कहाँ का न्याय!

राजेश जैन "दद्दु November 17, 2025, 5:15 pm Technology

" कोटा/झालावाड़। क्या अब धर्मस्थलों के संरक्षक ही अपराधी करार दिए जाएँगे? क्या ₹21 लाख के दान को भी झूठा करार दिया जाएगा? झालावाड़ खानपुर के अतिशय क्षेत्र चांदखेड़ी दिगंबर जैन मंदिर में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ एक मूर्ति विवाद नहीं, बल्कि राज्य के प्रशासन द्वारा अति अल्पसंख्यक जैन समाज पर किया गया सीधा और अक्षम्य आघात है।

झूठे आरोप में ट्रस्ट अध्यक्ष हुकुमचंद जैन 'काका' की गिरफ्तारी ने सम्मपुर्ण जैन समाज के धैर्य की सीमा तोड़ दी है, और अब यह आक्रोश पूरे देश में फैलने की दहलीज पर खड़ा है। 'मालिक' को ही चोर: ये कैसी एकतरफा जांच..? जैन राजनीतिक चेतना मंच एवं राष्ट्रीय जिन शासन एकता संघ विश्व जैन संगठन के मिडिया प्रभारी राजेश जैन दद्दू एवं राजनैतिक चेतना मंच के अध्यक्ष सुभाष काला ने अपने व्यक्तव में कहा कि प्रशासन ने इस मामले में जिस तरह की जल्दबाजी और एकतरफा कार्रवाई दिखाई है, वह सीधे तौर पर न्याय की धज्जियाँ उड़ाने जैसा है। विश्व जैन संगठन के मंयक जैन कहा कि जैन समाज प्रशासन को चीख-चीख कर कह रहा है कि मंदिर परिसर से सनातन प्रतिमाओं को हटाना आपसी सहमति, विधिविधान और मुहूर्त से हुआ था। यही नहीं, जैन समाज ने हिंदू समाज के मंदिर निर्माण के लिए 21 लाख रुपए का सहयोग भी दिया था। क्या प्रशासन को ये सौहार्दपूर्ण तथ्य नहीं दिखे? या उन्हें जानबूझकर छिपाया गया..? पुलिस ने प्रदर्शनकारी समूहों और असामाजिक तत्वों के दबाव में आकर काम किया। एक प्रतिष्ठित ट्रस्ट अध्यक्ष को झुठे आरोप एवं एकतरफा बयानों के आधार पर जेल भेजना, यह दर्शाता है कि पुलिस सत्य की तलाश नहीं, कर झुठे बयानों के आधार पर जैन समाज के प्रतिष्ठित एवं ट्रस्ट के लोकप्रिय अध्यक्ष हुकुमचंद जैन 'काका' जिन्होंने अपना जीवन धर्म और समाज को समर्पित किया, उन्हें 'चोर' बताकर क्या सरकार और प्रशासन ने जैन समाज की प्रतिष्ठा पर कालिख नहीं पोत दी?

एवं सच्चे और निष्पक्ष अधिकारी डीएसपी को हटाए जाने के बाद भी जांच की दिशा नहीं बदली। यह साबित करता है कि षड्यंत्र केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि प्रशासनिक दुर्भावना के गहरे स्तर तक फैला हुआ है। मंयक जैन राजेश जैन दद्दू एवं जैन समाज का यह मानना है कि यह गिरफ्तारी हुकुमचंद जैन को फँसाने की सोची -समझी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मंदिर के प्रबंधन और अल्पसंख्यक जैन समाज के धार्मिक अधिकारों को छीनना है। जैन समाज अपने तीर्थ अतिशय क्षेत्र के प्रति अगाध श्रद्धा रखता है। उनके सर्वोच्च ट्रस्टी को अपराधी ठहराना, उनके अखंडनीय विश्वास को चुनौती देना है। कोटा, जयपुर, इंदौर, दिल्ली से लेकर देश भर में जैन समाज में गहरा आक्रोश है। विभिन्न जैन संगठनों ने विरोध सभाओं का आह्वान किया है। जैन समाज ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई नहीं होती, यह मामला शांत नहीं होगा! सरकार को यह समझना होगा कि अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना सिर्फ चुनावी जुमला नहीं, बल्कि संवैधानिक दायित्व है। राजेश जैन दद्दू एवं मयंक जैन ने मांग करते हुए कहा कि 1. षड्यंत्रकारियों को बेनकाब करो: हुकुमचंद जैन को फँसाने वाले असली मास्टरमाइंड्स को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, चाहे वे किसी भी समूह या राजनीतिक दल से जुड़े हों। 2. न्यायिक जाँच सौंपो: यह मामला पुलिस के हाथ से निकाल कर तुरंत उच्च-स्तरीय न्यायिक जाँच आयोग या सीबीआई को सौंपा जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। 3. माफी मांगे: प्रशासन जैन समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और एक निर्दोष नेता को प्रताड़ित करने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। सरकार को समझना होगा, यदि धर्म के नाम पर जैन समाज के साथ अन्याय हुआ, तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। आगे से ऐसी किसी भी घटना होने पर सरकार को जैन समाज का रोष झेलना पड़ेगा जिसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

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