अन्तराय कर्म के पाप फल से बचना है तो किसी को दान करने से रोके नहीं -साध्वी सौम्य दर्शना श्री जी, महावीर जिनालय तप आराधना में उमड़े समाजजन।

Neemuch headlines October 11, 2025, 7:18 pm Technology

नीमच । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य के जीवन में कई तरह की बाधाएं आती है विध्न आते हैं हम उनका दोष किसी और को दे देते हैं कोई भी निमित्त हो सकता है। मगर सच्चाई है कि हमारे ही पूर्व कृत अन्तराय कर्म है उस कर्म का निवारण परमात्मा की अष्टप्रकारी एवं दीपक पूजा के माध्यम से उपभोग अंतराय कर्म का निवारण होता है। कभी भी कोई भी किसी को भी दान करें तो उसको रोकना नहीं चाहिए बल्कि उसकी अनुमोदना करनी चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है नहीं तो हमें पाप कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है। अन्तराय कर्म के पाप से बचना है तो किसी को दान करने से रोके नहीं। यह बात साध्वी सोम्य दर्शना श्री जी मसा ने कहीं। वे श्री जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति विकास नगर के तत्वाधान में साध्वी सौम्य प्रभा श्री जी महाराज साहब आदि ठाणा 4 के चातुर्मास में आयम्बिल तपस्या के उपलक्ष्य आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि किसी के भी अर्थ धन पर बुरी दृष्टि नहीं डालना चाहिए बिना अधिकार दो पैसे भी चुकाने में कई जन्म लग जाते हैं। उधारी पर ब्याज पर ब्याज बढ़ता जाता है और दो पैसे का कर्ज करोड़ों में बदल जाता है और उसे कर्ज को चुकाने के लिए हमें कई जन्म लेने पड़ते हैं इसलिए हम किसी का भी एक पैसा भी बिना अधिकार के नहीं लेना चाहिए तभी हम पाप कर्म के अंतराय से बच सकते हैं। उपभोग अंतराय कर्म निवारण के लिए अष्टप्रकारी पूजा का प्रावधान है।

हम किसी भी पशु का अधिकार भी नहीं लेवे यदि हमने किसी पशु के चारे के अधिकार को भी गलती से भी ले लिया तो उसे चुकाने के लिए हमें अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं इसलिए जीव दया कर को ध्यान में रखते हुए किसी पशु का अधिकार भी नहीं छीना चाहिए जीव दया करते हुए पशुओं को नियमित हरा चारा का आहार दान करना चाहिए ताकि यदि हम सभी गलती हो तो वह उससे बचाव हो सके। हमारे पास धन होने के बाद भी हम उसका सुख नहीं रोक पा रहे हैं यह आने कर्म का ही फल होता है इसलिए हमसे कभी यदि कोई गलती हो जाए तो शीघ्र प्रायश्चित करना चाहिए हम थोड़ा सुख पाने के लिए बड़े दुख आमंत्रण नहीं देवे, छोटा सा सुख नहीं मिले तो धैर्य रखें हमारे अच्छे कर्मों से हमें सुख अवश्य मिलेगा। दीपावली की सफाई करें तो जीव हिंसा नहीं हो उसका पूरा ध्यान रखें तभी हमारा दिवाली मनाना सार्थक होगा। इस अवसर पर श्रावक श्राविकाओं ने तपस्या के पंचखान का संकल्प भी लिया और इस अवसर पर तपस्या करने वाले तपस्वियों की अनुमोदना भी की गई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा हर्ष हर्ष जय जय की उद्घोष भी लगाई गई।

धर्म सभा में गुरु वंदना कर सभी ने मांगलिक श्रवण कर मंगल आशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर पंजाब केसरी विजय वल्लभपर g सुरीश्वर जी मसा की समुदाय वर्तनी, श्रुत भास्कर आचार्य धर्म धुरंधर सुरीश्वर जी मसा की आज्ञानुवर्तनी शासन दीपिका सुमंगला श्री जी मसा की शिष्या शासन प्रभाविका साध्वी सौम्य प्रभा साध्वी सोम्य दर्शना साध्वी अक्षय दर्शना साध्वी परम दर्शना श्रीजीसा का सानिध्य मिला। इस अवसर पर विभिन्न तपस्वियों की अनुमोदना की गई। धर्म सभा में महावीर जिनालय ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया, चातुर्मास समिति संयोजक राजमल छाजेड़ एवं सचिव राजेंद्र बंबोरिया सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।

इनका किया सम्मान साध्वी सौम्या प्रभा जी मसा की निश्रा में आयोजित आयम्बिल तपस्या चातुर्मास धर्म सभा के मध्य महावीर जिनालय विकास नगर आराधना भवन चातुर्मास समिति के संयोजक एवं उपाध्यक्ष समाजसेवी राजमल छाजेड़ का श्री संघ पदाधिकारीयों द्वारा धार्मिक चातुर्मास काल के मध्य साधर्मिक भक्ति समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा कार्यों के लिए पगड़ी मोती माला श्रीफल से सम्मान किया गया।

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