16 दिवसीय पीठिका की पूर्णाहुति 7 अक्टूबर को, 11000 पुष्प, 1008 फल व नैवेद्य का उपयोग होगा

Neemuch headlines October 6, 2025, 7:24 pm Technology

नीमच । श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर मंडल ट्रस्ट नीमच के तत्वाधान में आचार्य भगवंत श्री विजय प्रशमेशप्रभ सूरीजी मसा की सूरीमंत्र की 16 दिवसीय पिठीका साधना की पूर्णाहुति आसोज सुदी पूनम को होने जा रही है, आज 7 अक्टूबर मंगलवार पूनम को सुबह 6:30 बजे से गौतम स्वामीजी का महापूजन से होगा। श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने बताया कि सुबह 6:30 बजे से 1 बजे तक इस पूजन में करीब 11000 सफेद पुष्प 1008 फल 1008 नैवेद्य आदि विभिन्न सामग्रियों से गौतम स्वामीजी का महापूजन संपन्न होगा। इस पूजन में श्रीसंघ के केवल पुरुष भाई ही भाग ले सकते हैं। जिन भी भाईयों को पूजन में भाग लेना है वह अपने नाम पूज्य मुनि भगवंत श्री नीतिप्रभ विजयजी मसा को शाम तक लिखवा दे। सुबह 6:30 बजे से दिन में 1 बजे तक कोई भी समय में अपना नाम कल शाम तक मसा को लिखवा दे। उसके बाद नाम नहीं लिखे जाएंगे। श्रीसंघ के सभी श्रावको से निवेदन है कि आचार्य भगवंत की सूरीमंत्र की पिठीका की पूर्णाहुति के बाद संपन्न होने जा रही गौतम स्वामी महापूजन में सभी श्रावक पधारकर पुण्य लाभ ग्रहण करें । कार्यक्रम की श्रृंखला में पूज्य आचार्य भगवंत की सूरीमंत्र की पिठीका की पूर्णाहुति होने के बाद पूज्य आचार्य भगवंत 8 अक्टूबर बुधवार को पिठीका से बाहर पधारेंगे और उनकी मांगलिक होगीं। 8 अक्टूबर बुधवार को सुबह 7 बजे आचार्य भगवंत पीठीका से बाहर आएंगे तो सबसे पहले लाभार्थी परिवार के श्रावक और श्राविकाएं उपर जाकर आचार्य भगवंत की प्रथम गहूंली करेंगे। उसके बाद आचार्य भगवंत साध्वीजी मसा चतुर्विध श्रीसंघ बेंड बाजे जुलुस के साथ जैन भवन पहुंचेंगे। वहां पर आचार्य भगवंत की पीठीका की आराधना के बाद प्रथम मांगलिक होगी। मांगलिक में आचार्य भगवंत की गुरु पूजा एवं प्रथम वासक्षेप होगी। उसकी बोली उसी समय 8 अक्टूबर को मांगलिक के समय जैन भवन पर बोली जाएगी। उसके बाद कार्यक्रम में पधारे हुए सभी महानुभावों की साधार्मिक भक्ति भी जैन भवन पर रखी गई है साधर्मिक भक्ति एवं ओलीजी के लाभार्थी माणकलाल बाबूलालजी अनिल अक्षय आर्यन सोनी परिवार होंगे। उसी दिन ओलीजी की भी पूर्णाहुति भी हो रही। श्रीसंघ के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि आचार्य भगवंत की सूरीमंत्र की साधना की पूर्णाहुति होने के बाद प्रथम मांगलिक, गुरु पूजन और वासक्षेप के लिए अधिक से अधिक संख्या में समय पर पधारकर धर्म लाभका पुण्य ग्रहण करें। में

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