नीमच ।पद्मावती माता की भक्ति साधना करने से घर परिवार में सुख समृद्धि एवं शांति स्थापित होती है। कष्ट दूर होते हैं मन पवित्र होता है। रोग शोक मिट जाता है। अंधों को आंखें, लंगडों को पांव मिल जाते हैं। यदि हम माता पद्मावती की आराधना साधना सच्चे मन से करते हैं तो पार्श्वनाथ प्रभु की कृपा अपने आप मिल जाती है। और हमारी आत्मा का कल्याण हो जाता है। पद्मावती माता की भक्ति आराधना साधना का फल कभी निष्फल नहीं जाता है। यह बात साध्वी गुणरंजना श्री जी महाराज साहब ने कही। वे श्री पार्श्व पद्मावती धाम ट्रस्ट शक्ति नगर नीमच के तत्वावधान में पांच पद्मावती आराधना भवन शक्ति नगर बघाना में 5 सितम्बर रविवार को सुबह 9 बजे पार्श्व पद्मावती महापूजन के आयोजन कार्यक्रम में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि पद्मावती माता की शक्ति की आराधना करने से हम टूटते नहीं बल्की हमारे अंदर निखार आता है। परमार्थ की सेवा करने के लिए नई ऊर्जा की शक्ति का संचार होता है। धर्म के प्रति अज्ञानता दुखों का कारण है इसलिए धर्म ज्ञान के संस्कारों को प्राप्त कर सुखों को प्राप्त करना चाहिए। नवकार मंत्र की आराधना करते हैं तो दुखों का विनाश होता है और भवसागर से पर जा सकते हैं और आत्मा पवित्र होती है साधु-संतों और सिद्धों की शरण में जाने से सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। नाग नागिन द्वारा परमात्मा की अमृतवाणी श्रवण की गई तो अगले जन्म में धर्मेंद्र देव और माता पद्मावती के रूप में देवलोक में स्थान मिला था इसलिए परमात्मा की वाणी को सदैव श्रवण करते रहना चाहिए और पुण्य कर्म करते रहना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है परमात्मा के उपकार को कभी भूला नहीं चाहिए। जीवन में अच्छे आचरण का पालन करना चाहिए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है इस अवसर पर भजन गायिका हेमा प्रभा ने माता की आराधना करते हुए चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है हम मन से करते हम तेरी भक्ति, जग रूठे सहित विभिन्न भजन प्रस्तुत किए। साधु संतों की सेवा भक्त बनकर सच्ची भावना से करना चाहिए तो हमें हमारे जीवन में आनंद ही आनंद मिलता है। धर्म के प्रति आस्था और श्रद्धा और विश्वास रखें तो परमात्मा हमारी परीक्षा लेते भी है तो हमारे संकट को दूर कर देते हैं। कार्यक्रम की पावन श्रृंखला में पुजा सुबह 8:45 से प्रारम्भ हुई। पूजा में निम्न सामग्री 1 श्री फल, मिठाई, चावल, 27 इलाइची, एवं यंत्र को अभिमंत्रित कर पूजन पश्चात वितरण किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु वंदना से हुआ, सभी ने मांगलिक श्रवण कर आशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर तपस्वियों की अनुमोदना की गई। कार्यक्रम के अंत में स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया।