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सोयाबीन फसल चौपट,ना तो बीमा और ना ही मुआवजा, आज खुन के आंसू रो रहा है धरती का पालनहार

भगत माँगरिया September 19, 2025, 9:05 am Technology

खेत में ही जल भराव से गल-सड़ कर नष्ट हो गई सोयाबीन फसल, एक भी दाना घर नहीं ले जा पाया,ट्रेक्टर टिल्लर से हकई कर दी

चीताखेडा। बोवनी के प्रारंभ में ही बरसात की शुरुआत अच्छी रही लेकिन बाद में जब फसलों को आवश्यकता थी तब लंबी खेंच हो गई और जब खुले आसमान की जरूरत थी तब अतिवृष्टि शुरू हो गई जिसके सोयाबीन फसलें असफल एवं इल्लियों ने आक्रमण कर दिया तो वहीं पीला मोजेक वायरस ने फसलों को चपेट में ले लिया।

किसान रो रहा है खून के आंसू,अब तो सरकार से ही है कुछ राहत की उम्मीद। सोयाबीन की फसल बड़ा (पकने से पूर्व ही सुख) गई । 50 से 60 किलो प्रति बीघा खेत में सोयाबीन की पैदावारी हो रही है,यह भी उपर वाले को रास नहीं आ रहा है मुंह आया बचा हुआ निवाला भी आफत की बारिश पूरी तरह से छीनने पर उतारू हैं। जब फसल की कटाई का समय आया तो फिर रही कसी कसर बैमौसम आफत की बारिश ने भीगो दिया। बारिश भी इस कदर हावी रही की खेतों में पानी भर गया जिससे कटी हुई फसलें पानी में डूब गई। बीमा और मुआवजा मिल जाए तो रबी सीजन की फसलों की बुवाई और दशहरा व दीपावली त्यौहार आराम से मन जाएं। खेतों में सोयाबीन की फसल की पैदावारी को देख किसान हेरान और आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हैं। लोकसभा एवं विधानसभा में बैठने वाले अपने आपको किसानों के रहनुमा का ढोंग बनने वाले राजनितिक नेता भले ही खेती की आय दोगुनी है कहें परंतु हकीकत में किसानों के लिए तो तीन गुनी घाटे की खेती सिद्ध हो रही हैं ।

सोयाबीन की फसल नष्ट होती देख के रामविलास सोलंकी ने बताया कि अतिवृष्टि से खेत में जल भराव हो जाने से फसल सड़ गल कर नष्ट हो। एक दाना भी घर नहीं ले जा पाया। ट्रेक्टर टिल्लर से हकई करना पड़ी। किसान के अनुसार 2 बीघा खेत में 60 किलो सोयाबीन बीज 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल बुवाई की समय पर बरसात नहीं होने से नष्ट हो गई , दुबारा बोवनी करी । सोयाबीन के 60 किलो बीज के 6 हजार रुपए , खेत में 1 बैग डीएपी खाद के 1800 सौ रुपए , एक बेग यूरिया 300 रुपए और फिर पीला मोजेक और ईल्ली के प्रकोप को रोकने हेतु कीटनाशक की दवाई का छिड़काव साढ़े तीन हजार रुपए,कुरपाई 2 बार 800 रुपए, फसल निंदाई -गुडाई 14 मजदुरों के 4 हजार 200 रुपए,बीज की। इस मान से किसान को 2 बीघा खेत में 16 हजार 600 रुपए कुल नुकसान होने के बाद भी सोयाबीन फसल का एक भी दाना घर नहीं ले जा पाया। किसान अब सरकार मुआवजा और बीमा कंपनी से बीमा राशि की उम्मीद लगाए बैठा है। अगर शीघ्र ही बीमा कंपनी और सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिल जाए तो रबी की फसल की बुवाई हो जाए तो दशहरा और दीपावली का त्यौहार आराम से मन जाए।

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