जावद। कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास की शासकीय कन्या विद्यालय की छात्राओं ने तारापुर की वस्त्र छपाई कला देखा एव समझा छात्रावास की वार्डन श्रीमती गीता सेन ने छात्रावास की 85 छात्राओं को गीता हैंड प्रिंटर्स की यूनिट का विजिट करवाया। इस अवसर पर श्रीमती सेन ने बनवारी झरिया को साल श्रीफल से सम्मानित किया और कहा कि आपने हमारे देश की पारंपरिक कला अभी तक संजोए रखा है
इसलिये आपका एव आपके यूनिट के प्रत्येक कारीगर तारीफ़ एव सम्मान तो होना ही चाहिये । वही नेशनल अवार्डी पवन झरिया ने लुप्त होती नाँदना प्रिंट कला के बारे में सभी लड़कियों को पूरी जानकारी दी । यह कला एक लंबी प्रक्रिया से गुजरती है 18 स्टेप में कपड़ा निकलता है एव 40-45 दिन का समय लगता है। तारापुर क्लस्टर में ठप्पा छपाई में 6-7 प्रकार छपाई होती है और सभी में नेचरल कलर का उपयोग होता है जो पहनने वाले के लिए स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है साथ ही गांव के कई परिवार को रोज़गार भी मिल रहा है। झरिया भाइयो ने अभी तक सेकड़ो स्टूडेंट्स को ब्लॉक प्रिंटिंग की जानकारी दी एव सिखाया है। बनवारी झरिया ने बताया है की नाँदना प्रिंट कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास हम कर रहे हैं यदि सरकार एव शासन सहयोग करे तो यह पुनः स्थापित हो सकती है ।
तारापुर की नांदना प्रिंट कला को लुप्त होने से बचाने में लगा झरिया परिवार 400 वर्षों पुरानी परंपरा नांदना प्रिंट को पुनः स्थापित करने के प्रयास छपाई के प्रकार नाँदना प्रिंट, अलीज़रीन प्रिंट,इंडिगो दाबू, कशिश दाबू,पुरु प्रिंट, ईको प्रिंट, दाबू अनार प्रिंट, तारापुर प्रिंट