सिंगोली। भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी, पद्मा, डोल ग्यारस या जलझूलनी एकादशी कहा जाता है।
भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वे अपनी शेषशैय्या पर करवट बदलते हैं। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। परम्परा अनुसार जलझुलनी एकादशी पर नगर सिंगोली स्थित पालीवाल समाज, धाकड़ समाज, गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज, आदी गौड ब्राह्मण समाज, गुर्जर समाज, चारभुजा नाथ मंदिरों से भगवान को बेवाण में विराजमान कर नगर भ्रमण कर शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा पालीवाल समाज मंदिर से 4:30 बजे शुरू हुई बेवाण में विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकले ठाकुर जी का उनके भक्तो ने जगह जगह पुजा अर्चना कर भक्ति भाव प्रकट कर आर्शिवाद लिया शोभायात्रा धाकड़ समाज, गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज, आदी गौड ब्राह्मण समाज, गुर्जर समाज चारभुजा मंदिर होते हुए निचला बाजार कबुतर खाना होते हुए शाम 7 बजे ब्राह्मणी नदी स्थित बड़ा घाट पहुंची।
जहां विधि विधान से सनातनी धर्म परम्परा अनुसार पूजा अर्चना कर आरती कर सभी भक्तो को प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर सभी धर्मप्रेमी महिला पुरूषो ने शोभायात्रा में सम्मिलित हो धर्म लाभ लिया!