सिंगोली। नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आचार्य श्री ज्ञैयसागर सागर जी महाराज कि परम प्रभावित शिष्या गुरु मां आर्यिका श्री प्रशममति माताजी व आर्यिका श्री उपशममति माताजी ससंघ के पावन सानिध्य भव्य दसलक्षण महापर्व पर श्री जी कि भव्य शोभायात्रा के साथ पर्युषण महापर्व बड़े भक्ति भाव के साथ प्रारंभ हुए।
समाज के पारस जैन ने बताया कि पूज्य आर्यिका ससंघ के सानिध्य में पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म पर प्रातः काल श्री जी का अभिषेक व शान्ति धारा हुई श्री जी के ऊपर प्रथम शान्ति धारा करने का सोभाग्य नवीन कुमार धीरज कुमार अभिषेक कुमार मोहिवाल परिवार को प्राप्त हुआ व सोर्धम इन्द्र बनने का सौभाग्य द्वितीय शान्तिधारा करने का सोभाग्य पुष्पेंद्र कुमार सचिन कुमार ठग परिवार को प्राप्त व कुबेर इन्द्र बनने का सौभाग्य मिला व तृतीय शान्तिधारा करने का सोभाग्य प्रकाशचन्द कपिल कुमार अरविंद कुमार ताथेडिया परिवार को प्राप्त हुआ व चतुर्थ शान्तिधारा करने का सोभाग्य कैलाश चन्द्र जी सोरभ कुमार बगड़ा परिवार को प्राप्त हुआ व उसके बाद मण्डलजी पर मुख्य कलश स्थापन करने का सोभाग्य नवीन कुमार जी धीरज कुमार जी अभिषेक कुमार मोहिवाल परिवार को प्राप्त हुआ चारो कोनो पर महिलाओं को प्राप्त हुआ व उसके बाद महावीर साकूण्या सुभम ठोला के मिठे मिठे भजनों के साथ संगीतमय विधान पूजन प्रारंभ हुआ उसके बाद माताजी ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्षमावाणी पर्व हमे सहनशीलता में रहने की प्रेरणा देता है अपने मन में क्रोध को पैदा न होने देना ओर अगर हो भी जाए तो अपने विवेक से नम्रता से उसे विफल कर देना अपने भीतर आने वाले क्रोध के कारण आपको ओर दुसरो को भी क्षमा की नजरों से देखता है
अपने से जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए खुद को क्षमा करना ओर दुसरे के प्रति भी इसी भाव को रखना इस पर्व का महत्व है उत्तम क्षमा पर्व मनाते समय अपने मन मे छोटे बड़े का भेदभाव न रखते हुए सभी से क्षमा मांगना इस पर्व का उद्देश्य है वही शोभायात्रा के दोरान श्री जी को बेवान मे युवावर्ग लेके चल रहे थे तो जिनवाणी मां को बेवान मे महिलाएं लेके जय कार के साथ बड़े भक्ति भाव के साथ चल रहे थे युवावर्ग पुरुष वर्ग धोटी ढुपटे मे थे तो महिलाएं केसरिया साड़ी पहने थे जुलुश नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ श्री शान्तिसागर सभा मण्डपम श्री विद्यासागर सन्त निलय पर पहुंचा दशलक्षण महापर्व के दोरान माताजी ससघ के सानिध्य 28 अगस्त से 6 सितम्बर तक प्रतिदिन प्रातः काल 6 बजे अर्ह ध्यान योग प्रातः काल 6:30 बजे अभिषेक,शान्तिधारा प्रातः काल 7:30 बजे संगीतमय नित्य पूजन तत्त्वार्थ सूत्र विधान प्रातः काल 9 बजे पार्श्व कथा 9:30 आहारचर्या माताजी ससंघ की दोपहर 2 बजे से तत्त्वार्थ सूत्र वाचन इन्द्र इन्दाणीयो द्वारा दोपहर 2:45 बजे भावना द्वात्रिशतिका कक्षा सायं 6 बजे आचार्य भक्ति जिज्ञासा समाधान,अर्ह कीर्तन रात्रि 7 बजे से सामुहिक प्रतिक्रमण सघस्थ दिदीयो द्वारा रात्रि 7:30 बजे से आरती सांस्कृतिक कार्यक्रम होगे इस अवसर पर बडी संख्या में समाजजन उपस्थित रहेगे।