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देव शास्त्र और गुरु ये जैन धर्म मे पुजनीय है आर्यिका श्री प्रशममति माताजी

Neemuch headlines August 6, 2025, 5:03 pm Technology

सिंगोली। नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज व दीक्षा प्रदाता आचार्य श्री ज्ञैय सागर जी महाराज की परम शिष्या गुरु मां आर्यिका श्री प्रशममति ने 6 जुलाई को प्रातः काल 8 बजें मन्दिर जी में श्री पार्श्वकथा का वाचन करते हुए धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि देव शास्त्र और गुरु ये जैन धर्म में पुजनीय है और इनका बहुत महत्व है देव ज्ञान और मोक्ष के मार्गदर्शक है शास्त्र ज्ञान का भंडार है और गुरु इन दोनों तक पहुंचने में मार्गदर्शन करते हैं तीनो की पुजा करके भक्त मुक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने कि कामना करते है जो व्यक्ति मृत्यु से नहीं डरता व उसका सामना करता है वह आने वाले भवो में मृत्युंजय हो जाता है जो भव का सुख चाहता है वह धर्मशरण में जाता है जो इस भव का ही सुख चाहता है वह भोगी बन जाता है प्रसन्नता से सब कुछ जीता जा सकता है इंसान में जब तक जीव के मोह में जागृत रहेंगे उन्हें सत्य असत्य नजर आता रहेगा दुख देने वाले सुख देने वाले लगते हैं अहितकारी - हितकारी नजर आने लगते हैं सिर्फ निग्रंथ गुरु और जिनवाणी सत्य सुना सकती है इस अवसर पर मंगलाचरण कनकबाला मोहिवाल ने किया चित्र अनावरण व दिप प्रज्वलन करने का सोभाग्य प्रथम शान्तिधारा कर्ता परिवार राजेन्द्र कुमार पारस कुमार पंकज कुमार मोहिवाल परिवार को प्राप्त हुआ वही जिनवाणी भेंट करने का सोभाग्य महिलाओं को प्राप्त हुआ आर्यिका माताजी ससघ के सानिध्य में प्रतिदिन प्रातः काल मन्दिर जी में संगीतमय श्री पार्श्वकथा व योग में बडी संख्या में समाजजन बैठे कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।

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