चीताखेड़ा । उज्जैन में आनंद भयो जय हो महाकाल की सज रहे भोले बाबा निराले दुल्हे में ऐसा डमरू बजाया भोले नाथ ने सारा कैलाश मगन हो गया।
शिव का वंदन किया करो जी आदि डीजे साउण्ड पर शिव के मधुर संगीत गीतों की स्वर लहरियों की धुनों एवं ढोल ढमाकों की गुंज पर नाचते झुमते, थिरकते डमरू, ताशों और खंजरी बजाते हुए महाकाल के गगनभेदी जयघोष करते हुए 5 किलोमीटर दूरी तय कर भगवान श्री रामझर महादेव धाम पहुंचे। कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों की सबसे ज्यादा संख्या पुरुषों से अधिक महिलाओं की देखी गई। इसमें 5 साल से लेकर 65 साल तक के कांवड़ शिव भक्तों ने कंधे पर उठाकर सह भागी बनें।
कन्हैयालाल माली ने 100 लीटर पानी से भरी कांवड़ उठाकर कांवड़ यात्रा में शामिल हुए जो आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। शिव भक्तों ने श्रावण मास में शिव प्रिय द्रव्या वली अर्पित करने से भूत भावन, उमापति महादेव मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। सभी देवताओं में शिव अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव है। श्रावण मास शिव सत्ता के द्वारा ही सृष्टि संचालित होती हैं, शिव तो ध्यान की उत्कृष्ट साधना के परिचायक है. महाकाल भक्त मंडल चीताखेड़ा द्वारा सावन माह में तीसरे सोमवार को जिस मार्ग से कावड़ यात्रा निकाली गई उस मार्ग पर जगह-जगह पुष्प वर्षा व तिलक लगाकर सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक संगठन के लोगों द्वारा स्वल्पाहार की स्टाइलें लगाईं गई। भक्तों ने व्रत रखकर महादेव की उपासना की। सुबह शिवालयों में बेलपत्र, दुग्ध, पंचामृत, शहद, शक्कर, दही सहित आदि पूजा सामग्री से भोलेनाथ का अभिषेक किया गया। चीताखेड़ा जीरन मार्ग पर दलपतपुरा के समीप मनोहारी झील में स्थित अतिप्राचीन रामझर महादेव मंदिर पर शिव भक्तों का बड़ी संख्या में सैलाब उमड़ पड़ा।
श्रद्धालुओं की दर्शन करने की होड़ लगी हुई। बोल बम बम...... हर हर महादेव....... जय श्री महाकाल....... ओम् नमः शिवाय... ओम् नमः शिवाय...... आदि जयकारों से शिवालय गुंजायमान कर दिया। पुजारी द्वारा भगवान भोलेनाथ रामझर महादेव का फूलों से श्रृंगार किया गया। भोलेनाथ के आकर्षक श्रंगार का दर्शन करने श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे दिव्य दर्शन कर भोलेनाथ की सवारी नंदी महाराज के कान में अपनी मनोवांछित कामना पूर्ति के लिए अर्जी लगाई महाकाल भक्त मंडल चर्चीताखेड़ा द्वारा सावन माह में तीसरे सोमवार को प्रातः 9 बजे गांव के बजरंग मंदिर से डीजे साउण्ड एवं ढोल ढमाकों के साथ भव्य कांवड़ यात्रा प्रारम्भ हुई। हर हाथ में कांवड़ लिए श्रद्धालु महादेव की भक्ति में डूबे दिखाई दिए। श्रावण माह में चीता खेड़ा गांव एक बार फिर महादेव की भक्ति के रंग में रंग गया। गांव के विभिन्न मार्गों से होती हुई रामझर महादेव धाम पहुंची। कांवड़ यात्रा में भगवान महाकाल की मिनी ट्रैक्टर ट्राली में झांकी आकर्षक ढंग से सजाई गई थी।