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कछाला की नारायण गौशाला में संत नन्दकिशोर दास महाराज के मुखारबिंद से श्रीमद भागवत कथा को सुनने के लिए सोमवार को श्रद्धालुओ की उमड़ी भीड

प्रदीप जैन January 16, 2023, 6:45 pm Technology

भगवान कृष्ण की बाल लीला व माखन चोरी की लीला सुनकर श्रद्धालु हुए भाव विभोर

सिंगोली। प्रभु की लीला में भगवान के साक्षात दर्शन मिलते हैं। प्रभु ने लीला के माध्यम से समूचे मानव समाज को संदेश देते हुए धर्म मार्ग पर चलने का अनुसरण कराया। यह उपदेश तपोनिष्ट संत नन्दकिशोर दास जी महाराज ने दिये। वे सिंगोली नीमच मार्ग स्थित कछाला नारायण गौशाला परिसर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पाचवे दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे। सोमवार को कथावाचक ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाए, माखन चोरी व गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई। कथा सुनकर सभी श्रद्धालु भाव विभोर हो गए । भगवान कृष्ण की बाल लीला कथा सुनाते हुए कथावाचक श्रीदास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं रसरूप हैं वे अपनी रसमयी लीलाओं से सभी को अपनी ओर खींचते हैं। गोपियां प्रायः नंदभवन में ही टिकी रहती हैं। कन्हैया कभी हमारे घर भी आएगा। कभी हमारे यहां भी वह कुछ खायेगा। जैसे मैया से खीझता है वैसे ही कभी हमसे झगड़ेगा ऐसी बड़ी- बड़ी लालसाएं उठती हैं गोपियों के मन में गोपियों का वात्सल्य स्नेह ही उन्हें गोकुलधाम से यहां खींच लाया है। श्रीकृष्ण को अपने प्रति गोपियों द्वारा की गई लालसा को सार्थक करना है कथावाचक श्रीदास ने कहा कि भगवान की लीलाए मानव जीवन के लिये प्रेरणादायक है। भगवान श्री कृष्ण ने बचपन मे अनेक लीलाए की नटखट स्वभाव के चलते यशोदा माँ के पास उनकी रोज शिकायत आती थी। यशोदा माँ उन्हें कहती थी प्रतिदिन तुम माखन चुरा कर खाएं करते हो तो वह तुरंत मुंह खोलकर माँ को दिखा दिया करते थे कि मैने माखन नही खाया। भागवत कथा में माखन चोरी की लीला के बाद गोवर्धन पूजा का प्रसंग चला। कथा वाचक श्रीदास ने बताया कि गोवर्धन का अर्थ है गौ संवर्द्धन।

भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिये उठाया कि पृथ्वी पर फैली बुराइयां का अंत केवल प्रकति एवं गौ सवर्धन से ही हो सकता है। कथा में गोवर्धन की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण गोप ग्वालों के साथ गोवर्धन पर्वत पर गए थे। वहां गोपिकाएँ भोजन बनाकर उत्सव मना रही थी। भगवान श्री कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के ही दिन देवो के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इससे खुश होकर इंद्र ब्रज में वर्षा करते है। जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है। भगवान कृष्ण ने कहा कि इंद्र में क्या शक्ति है ।

उनसे अधिक तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण ही वर्षा होती है। हमे गोवर्धन की पूजा करना चाहिए । बाद में भगवान श्री कृष्ण की यह बात मानी गयी और बृज में गोवर्धन पूजा की तैयारी शुरू हो गयी । भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए राक्षको का अंत किया । संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के बीच बीच मे बड़ी संख्या में महिला पुरुष नन्हे मुंन्हे बुजर्ग तक मधुर भजनों पर तालियों कि थाप व नृत्य कर रहे थे।

नारायण गौशाला में आयोजित भागवत कथा के दौरान महाराज श्री द्वारा गौमाता की रक्षा एवं उनकी सेवा के लिये गौ भक्तों से दान पुण्य करने की आग्रह किया गया है ।

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