भोपाल। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी बड़ी समस्या बन गई है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या के अनुपात में ऑक्सीजन की सप्लाई काफी कम है। इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर और शहडोल में ऑक्सीजन की कमी के चलते कई मरीजों की मौतें हो चुकी हैं। इस बीच प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 37 जिलों में ऑक्सीजन का प्लांट लगाने की घोषणा की है, लेकिन विपक्षी कांग्रेस सहित अन्य लोग भी इस पर भरोसा नहीं कर रहे। कारण यह कि सरकार ने कोरोना की पहली लहर के दौरान भी 9 जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का ऐलान किया था, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी इस काम में कोई प्रगति नहीं हुई।
पिछले साल सितंबर में सरकार ने 9 शहरों में मेडिकल ऑक्सीजन का प्लांट लगाने के लिए टेंडर जारी किए थे। मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉर्पोरेशन ने कंपनी के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। टेंडर में कहा गया था कि तैयार ऑक्सीजन की शुद्धता का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड के अनुसार 93% से कम नहीं होना चाहिए। उस समय कई कंपनियों ने इसमें रुचि भी दिखाई थी। समय पर कंपनी का चयन हुआ होता, तो इस साल जनवरी-फरवरी तक ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो सकता था।
कोरोना की पहली लहर के कमजोर पड़ते ही सरकार ने इस ओर ध्यान देना छोड़ दिया। नतीजा यह हुआ कि टेंडर जारी होने के आठ महीने बाद तक कंपनी का चुनाव ही नहीं हो पाया जबकि इनमें उत्पादन शुरू होता तो आज मध्य प्रदेश ऑक्सीजन सप्लाई के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होता।
शिवराज सरकार की इस घोषणा पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निशाना साधा है। कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार आग लगने पर कुआं खोदने की तैयारी नहीं कर रही, उसके लिए केवल बात कर रही है। उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री ऐसी घोषणाएं कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। यदि पहले की घोषणाओं पर अमल हुआ होता तो आज ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की जान नहीं जाता।