हिंदू पंचांग के अनुसार हर आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर इसे मनाया जाता है. इस दिन गंगा स्नान, दान का भी महत्व होता है. कहा जाता है कि वेदों के रचयिचा महर्षि वेदव्यास के जयंती के मौके पर इसे मनाया जाता है.
आइये जानते हैं इस पर्व से जुड़ी सभी जानकारी, सामग्री लिस्ट...
गुरु पूर्णिमा का महत्व:-
सदियों पूर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर जन्में महर्षि वेदव्यास के जयंती के मौके पर गुरु पूजन की परंपरा फॉलो की जाती है. जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में कुल पुराणों की संख्या 18 है. इन सभी के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं.
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त:-
पूर्णिमा तिथि: 23 जुलाई 2021,
शुक्रवार पूर्णिमा तिथि आरंभ: 24 जुलाई 2021,
शनिवार की सुबह 10 बजकर 43 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक
क्या है इन योगों का महत्व:-
ऐसी मान्यता है कि प्रीति और आयुष्मान योग में हमारे द्वारा किए गए कोई भी शुभ कार्य करने से करियर/व्यापार में सफलता मिलती है.
वहीं, वैदिक ज्योतिष में विष्कुंभ योग को भी काफी शुभ माना गया है.
इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य के शुरू करने से लाभ होता है.
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक गुरु पूर्णिमा पूजा करने से सौ वाजस्नीय यज्ञ के बराबर फल मिलता है.
कुंडली में चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
गुरु पूर्णिमा पूजन सामग्री:-
पान का पत्ता, पानी वाला नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग, मोदक व अन्य पूजन सामग्री की जरूरत पड़ेगी.
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि:-
इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से त्वचा रोग, दमा जैसी बीमारियों में लाभ होता है.
इस दिन भगवान विष्णु के वैदिक मंत्र का जाप करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
गुरु पूर्णिमा के दिन खीर के भोग और दान से मानसिक शांति मिलती है. इस दिन बरगद की पूजा भी करनी चाहिए. मान्यताओं के मुताबिक याज्ञवल्य ऋषि ने बरगद को एकबार वरदान दिया था जिससे उन्हें जीवनदान मिला था.