देश में एक वित्त वर्ष के दौरान 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई टैक्स के दायरे में आती है। केवल नौकरीपेशा से ही नहीं, बल्कि अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई पर भी टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। इनमें ब्याज से होने वाली कमाई, किसी अन्य कारोबार से प्राप्त आय और किसी तरह के निवेश से होने वाली आमदनी शामिल है। हालांकि, आयकर कानून के तहत प्रोविडेंट फंड (पीएफ), एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) या नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के अलावा आय के पांच ऐसे स्रोत भी हैं जिनसे होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है इसके अलावा, कृषि से प्राप्त आय भी टैक्स के दायरे में नहीं आती है। यानी किसान को खेती से चाहे जितनी भी कमाई हो, उसे इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।
1. शादी में मिला उपहार:-
आमतौर पर आयकर कानून के तहत मिला उपहार टैक्स के दायरे में आता है। लेकिन, अगर यह उपहार आपको शादी पर मिलता है तो इससे होने वाली आय पर 100 फीसदी टैक्स छूट मिलती है। शर्त यह है कि उपहार शादी की तारीख या उसके आसपास की तारीख पर मिला हो। सामान्य मामले में करदाता को एक वित्त वर्ष में अधिकतम 50,000 रुपये के उपहार पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। इससे ज्यादा रकम का मिला उपहार आपकी आय में जुड़ जाएगा, जिस पर स्लैब के हिसाब टैक्स देना होगा।
2. साझेदारी वाली कंपनी से होना वाला मुनाफा:-
अगर आप किसी कंपनी में साझेदार हैं तो मुनाफे के शेयर के रूप में मिली रकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है। यानी इस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, क्योंकि कंपनी इस पर टैक्स का भुगतान कर चुकी होती है। यह छूट सिर्फ मुनाफे पर है, मिलने वाले वेतन पर नहीं!
3. पढ़ाई के दौरान मिली छात्रवृत्ति:-
आयकर कानून के तहत देश या विदेश में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर पर हर तरह की पढ़ाई के दौरान मिलने वाली छात्रवृत्ति पर 100 फीसदी टैक्स छूट मिलती है। इसके अलावा, सरकारी या निजी संस्थानों से पढ़ाई या शोध के लिए मिली छात्रवृत्ति पर भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।
4. पैतृक संपत्ति:-
माता-पिता से मिली संपत्ति (आवासीय या वाणिज्यिक), गहने और नकदी पर करदाता को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। चाहे यह पैतृक संपत्ति के तौर पर मिला हो या अन्य किसी वसीयत में। हालांकि, करदाता अगर मिली हुई रकम को निवेश कर कमाई करता है या संपत्ति से कमाई या ब्याज हासिल करता है तो उसे इनसे होने वाली आय पर टैक्स का भुगतान करना होगा।
5. ग्रेच्युटी से 20 लाख तक की कमाई:-
अगर किसी कर्मचारी ने किसी संस्थान में लगातार पांच साल या उससे अधिक समय तक काम किया है तो नौकरी छोड़ने पर मिलने वाली ग्रेच्युटी की रकम भी टैक्स छूट के दायरे में आती है। सरकारी कर्मचारी के मामले में 20 लाख रुपये तक और निजी कंपनी के कर्मचारी के मामले में 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी रकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है।
रिटर्न भरने से पहले सही तरीके से करें गणना:-
रिटर्न दाखिल करने से पहले करदाताओं को कर योग्य आय की गणना सही तरीके से कर लेनी चाहिए। आयकर कानून के तहत पीएफ, पीपीएफ, ईपीएफ और एनपीएस के साथ उपरोक्त स्रोतों से होने वाली कमाई भी करमुक्त होती है। इसके अलावा, 10(10)डी में किसी भी बीमा पॉलिसी के मैच्योर होने पर मिलने वाली रकम भी टैक्स के दायरे से बाहर होती है।